May 31, 2014

#3 The Poet in Love

मेरे महबूब तुझे मेरी मोहब्बत की कसम,
फिर मुझे नर्गिसी आँखों का सहारा दे दे,
मेरा खोया हुआ रंगीन नज़ारा दे दे.… 
भूल सकती नहीं आँखे वो सुहाना मंज़र
जब तेरा हुस्न मेरे इश्क से टकराया था,
और फिर राह में बिखरे थे हज़ारों नग्में,
मैं वो नग्में तेरी आवाज़ को दे आया था,
साज़-ए-दिल को उन्ही गीतों का सहारा दे दे.… 

याद है मुझको मेरी उम्र की पहली वो घड़ी
तेरी आँखों से कोई जाम पिया था मैंने,
मेरी रग-रग में कोई बर्क-सी लहराई थी
जब तेरे मरमरी हाथों को छुआ था मैंने,
आ मुझे फिर उन्ही हाथों का सहारा दे दे.… 

मैंने इक बार तेरी एक झलक देखी है
मेरी हसरत है कि मैं फिर तेरा दीदार करूँ,
तेरे साए को समझ कर मैं हसीं ताजमहल
चाँदनी रात में नज़रों से तुझे प्यार करूँ
अपनी महकी हुई ज़ुल्फ़ों का सहारा दे दे.… 

ढूँढता हूँ तुझे हर राह में, हर महफ़िल में,
थक गये हैं मेरी मजबूर तमन्ना के कदम,
आज का दिन मेरी उम्मीद का है आखरी दिन,
कल ना जाने मैं कहाँ और कहाँ तू हो सनम,
दो घड़ी अपनी निगाहों का सहारा दे दे.…

सामने आ के ज़रा पर्दा उठा दे रुख़ से,
इक यही मेरा इलाज-ए-ग़म-ए-तनहाई है,
तेरी फुरकत ने परेशान किया है मुझको,
अब तो मिल जा कि मेरी जान पे बन आई है,
दिल को भूली हुई यादों का सहारा दे दे.… 
Shakeel Badayuni (Mere Mehboob, 1963)

1 comment:

  1. Nargisee: phool-jaisi
    Manzar: drishya, nazaara
    Barq: bijli
    Marmaree: made of marble
    furkat: doori, judaayi

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